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Sunday, July 8, 2012

एक बगल मैं चाँद होगा......

Mishra ji is awesome.

I am hooked to this lyrical rendition from GOW...

.....read each line slowly to really enjoy it.

एक बगल

एक बगल मैं चाँद होगा......

............ एक बगल मैं रोटियां

एक बगल मैं  नींद........

.......... होगी एक बगल मैं लोरियां

.....हम चाँद पर रोटी की चादर डालकर सो जायेंगे 

.......और नींद से कह देंगे ......लोरी कल सुनाने आयेंगे

एक बगल मैं खनखनाती सीपियाँ  हो जाएँगी ......

...एक बगल मैं कुछ रुलाती सिसिकियाँ हो जाएँगी ......

हम सीपियाँ मैं भरके सारे तारे छूकर आयेंगे......

.......... और सिसकियों को गुदगुदी कर कर के...... यूँही बहलाएँगे 

अम्मा तेरी सिसकियों पर कोई रोने आएगा ......

.........कोई रोने आएगा ....

.........ग़म न कोर जो आएगा......... वो फिर कभी न जायेगा 

......याद रख पर कोई अनहोनी 

.......नहीं तू  लाएगी 

लाएगी तो फिर कहानी ......और कुछ हो जाएगी ...

होनी और अनहोनी की परवाह...... किसे हैं मेरी जान ...

......हद से ज्यादा येही होगा ......... यहीं मर जायेंगे ...

हम मौत को सपना बना कर...... उठ खड़े होंगे यहीं ...

और होनी को ठेंगा दिखाकर .....खिल खिला के जायेंगे.....

PS - Google automatically offers to translate this content into English, I think Shakespeare just died again after reading it :)