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Sunday, June 27, 2010

पगली लड़की - डॉक्टर कुमार विश्वास

I was listening to some of the lines of Dr Kumar Vishwas, and added mine to his poem :) 

I hope they all make a good read


पगली लड़की - डॉक्टर कुमार विश्वास ( कॉपी & पेस्ट  - सौजन्य श्री श्रीकांत राजन !)

" अमावस की काली रातों मैं दिल का  दरवाज़ा खुलता है,
जब दर्द की प्याली रातों मैं गम आसूं  के संग घुलता है,
जब पिछवाड़े के कमरे मैं हम  लिपट अकेले होत्ने हैं ,
जब घड़ियाँ टिक टिक चलती हैं सब सोतें हैं हम रोतें हैं ,
जब बार बार दोहरानें से सारी यादें चुभ जातीं हैं,
जब उंच नीच समझाने मैं माथे की नस चुख जाती है ,
तब एक पगली लड़की के बिन जीना गद्दारी  लगता है और उस पगली लड़की के बिन मरना भी भरी  लगता है !


 सुनते सुनते .......यह कुछ पंक्तियाँ मैंने लिख दी ..

" जब संदेशों का जवाब नहीं आता है, या क्षण भर का विलमभ हो जाता है
जब अनेक प्रशनों का कोई उत्तर नहीं होता है
जब उन से दूर रहने की हर कोशिश नाकाम हो जाती है
जब लाख मना करने पर भी कोई मिलने आ जाता है

जब कोई निर्मम होता हैं और कोई हट करता है
जब निरादयिता तिरस्कार के हद तक चली जाती है
जब हर्ष और सम्मान के बीच युद्ध होता है

तब केवल तब ये प्रतीत होता है
की सारे प्रशन और उत्तर बेकार हैं
बस समय और सन्दर्भ प्रबल हैं "